इस आर्टिकल में मैंने आपको बताऊंगा की Dhan Ki Kheti Kaise Kare. अगर आप धान की खेती के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।
धान एक ऐसा चीज है जिसके बिना ज्यादातर लोग जी नहीं सकते। कुछ लोग धान खरीद करते है और कुछ लोग धान खेती करते है।
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Dhan Ki Kheti Kaise Kare
अगर आप धान की खेती के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो नीचे दिए गयी वीडियो देख सकते है।
मुझे उम्मीद है आप उपर दिए गयी वीडियो देखके जान गयी है की Dhan Ki Kheti Kaise Kare.
Dhan Ki Kheti Kaise Kare (Text)
अगर आप एक किसान हैं और धान की उन्नत और आधुनिक खेती करना चाहते हैं तो आपको इसकी खेती के तरीके जरूर पता होने चाहिए।
धान के लिए खेत कैसे तैयार करें, बीज का चुनाव कैसे करें, धान में कीटों और रोगों को कैसे नियंत्रित करें, यह जानना बहुत जरूरी है। एक किसान के लिए यह जानना जरूरी है कि धान उगाने से लेकर कटाई तक क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।
खरीफ फसलों में धान मुख्य फसल है। पिछले 5 वर्षों में राज्य में धान के क्षेत्रफल, उत्पादन और उत्पादकता के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में चावल की औसत उपज बढ़ रही है और अन्य राज्यों की तुलना में बहुत कम है।
इसमें उत्पादकता बढ़ाने की काफी संभावनाएं हैं। यह तभी संभव हो सकता है जब गहन विधियों को ठीक से अपनाया जाए।
धान की खेती कैसे करें इसकी पूरी जानकारी
1. भूमि की तैयारी
गर्मी की जुताई के बाद 2-3 जुताई करके खेत को तैयार कर लेना चाहिए। साथ ही खेत की मजबूत फेंसिंग भी की जाए ताकि बारिश का पानी ज्यादा समय तक खेत में जमा हो सके।
यदि ढिंचा/सुनई हरी खाद के रूप में ली जा रही हो तो उसकी बुवाई के साथ-साथ फास्फोरस का भी प्रयोग करना चाहिए। धान की बिजाई/रोपाई के लिए एक सप्ताह पहले खेत की सिंचाई करें ताकि खरपतवार उगें, उसके बाद बुवाई/रोपाई के समय पानी से खेत की जुताई करें।
2. शुद्ध एवं प्रमाणित बीज का चयन
प्रमाणित बीज से अधिक पैदावार होती है और किसान अपनी उपज (संकर प्रजातियों को छोड़कर) को अगले बीज के रूप में सावधानी से उपयोग कर सकते हैं। तीसरे वर्ष में पुनः प्रमाणित बीज लेकर बुवाई करनी चाहिए।
3. जल प्रबंधन
देश में सिंचाई क्षमता की उपलब्धता के बावजूद धान का लगभग 60-62 प्रतिशत क्षेत्र ही सिंचित है। जबकि धान की फसल को खाद्य फसलों में सबसे अधिक पानी की आवश्यकता होती है।
कुछ शर्तों के तहत फसल की रोपाई के बाद कलियों के फटने, फूल आने, फूल आने और दाना भरने के समय खेत में एक सप्ताह तक पानी रहना चाहिए।
फूल फूल आने की अवस्था में पानी के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं। परीक्षणों के आधार पर यह पाया गया है कि धान की अधिक उपज प्राप्त करने के लिए लगातार पानी देना आवश्यक नहीं है।
इसके लिए खेत की सतह से पानी गायब होने के एक दिन बाद 5-7 सेमी सिंचाई उपयुक्त होती है। यदि वर्षा की कमी के कारण पानी की कमी दिखाई दे तो सिंचाई अवश्य करें।
खेत में पानी की उपलब्धता से फास्फोरस, लोहा और मैंगनीज तत्वों की उपलब्धता बढ़ जाती है और खरपतवार भी कम उगते हैं।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि धान के खेत में कलियों के निकलने पर 5 सेमी से अधिक पानी लंबे समय तक रखना भी हानिकारक होता है। इसलिए जिन क्षेत्रों में पानी भरा रहता है, वहां जल निकासी की व्यवस्था करना बहुत जरूरी है, अन्यथा उत्पादन प्रभावित होगा।
सिंचित दशा में एक दिन बाद 5 से 7 सेमी तक पानी भरना चाहिए, खेत में लगातार पानी भरने से सिंचाई के पानी की भी बचत होगी।
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